शनिवार, 24 मार्च 2018

विपत्तियों से रक्षा कर (poem in hindi)

अाज मैं अापको एक कविता अौंर उसका अर्थ बताने वाला हू। जिसमे कवि विपत्तियों से रक्षा कि नही उन विपत्तियों से लडने की शक्ति मागता है इश्वर से।

विपत्तियों से रक्षा कर - यह मेरी प्रार्थना नहीं,
मै विपत्तियों से भयभीत न होऊ !
                   अपने दुख से वयथित चितत को सांत्वना देने की भीक्षा
                    नहीं माँगता,
मैं दु:खो पर विजय पाऊँ !
यदि सहायता न जुटे तो भी मेरा बल न टुटे !
           संसार से हानि हि मिले, केवल वंचना हि पाऊं
            तो भी मेरा मन उसे क्ष​ति न माने !
"मेरा त्राण कर "  यह मेरी प्रार्थना नहीं,
मेरा भार हलका करके मुझे सांत्वना न दे,
यह भार वहन करके चलता रहुुुँ !
            सुखभरे क्ष​णो मे नतमस्तक मैं तेरा मुख पहचान पाऊँ
             किंतु दु:ख -भरी रातों मे जब सारी दुनिया मेरी वंचना करे,
              तब भी मैं तेरे प्रति शंकित न होऊँ !






कविता अर्थ:-
                     कविता मे कवि ईश्वर से विपत्तियों से मुक्ति पाने की प्रार्थना न करते हुए , उन विपत्तियों से निरभिक होकर सामना करने की शक्ति माँगता है। वह जीवन की दोनो परिस्थितियों -सुख और दुख - मे समान रुप से ईश्वर से जुडे रहना चाहता है। कवि दु:खो का भार लेकर चलना चाहता है , वह उनसे मुक्ति नहीं चाहता। वह सिर्फ प्रभु से यह विनती करता है कि दु:ख मे वह प्रभु के प्रति शंकित न हो। संघर्षपुर्ण जीवन ही,  जीवन की सार्थकता है।

tata group कि जानकारी (hindi me)

अाज मैं अापको tata group अौंर। उसके मालिक के बारे मे बताने वाला हू

रतन टाटा भारत के प्रमुख उद्योगपतियों मे से एक है। रतन टाटा हजारों लाखों लोगो के लिये अादर्श है इन्होनें अपने जीवन मे कडे संघर्ष मेहनत की बदौलत यह मुकाम हासिल किया है। रतन टाटा 1991 मे टाटा गु्प के अध्यक्ष बने थे अौर 28 दिसंबर 2012 मे रतन टाटा ने टाटा गु्प की अध्यक्षता से इस्तीफा दे दिया था। हालांकी रतन टाटा अभी भी टाटा गु्प के ट्रस्ट के अध्यक्ष बने है। रतन टाटा , टाटा गु्प के अलावा टाटा स्टील, टाटा मोटर्स , टाटा पावर , टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज , टाटा टी, टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स अौर टाटा टेलीसर्विसेज के अध्यक्ष भी रहे है। रतन टाटा ने अपनी अगुवाई मे टाटा गु्प को नई बुलंदियो पर पहुंचाने का काम किया है।


रतन टाटा का शुरुअाती जीवन -


रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1935 मे सुरत शहर मे हुआ था। 1940 के दशक मे जब रतन टाटा के माता - पिता (सोनु अौर नवल) एक दुसरे से अलग हुए उस समय रतन टाटा 10 साल के अौर उनका छोटा भाई जिमी सिर्फ 7 साल का था। इसके बाद इन दोनों भाइयों का पालन पोषण इनकी दादी नवजबाई टाटा ने किया था। मुंबई के कैंपियन स्कुल से रतन टाटा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुरी की उसके बाद कैथेड्रल एंड जाँन काँनन से इन्होने अपनी माध्यमिक शिक्षा पुरी की फिर इन्होनें स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के साथ काँर्नेल विश्वविद्यालय से 1962 मे स्नातक की डिग्री ली। इन सबके बाद रतन टाटा  ने हार्वर्ड बिजनेस स्कुल से 1975 मे एडवांस मैनेजमेंट भी पुरा किया।


रतन टाटा का कैरियर-
भारत वापस अाने से पहले रतन टाटा लाँस एंजिल्स , कैलिफोर्निया मे जोन्स अौर एमोंस मे थोडे   समय काम किया। रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत टाटा गु्प से की थी , टाटा गु्प से रतन टाटा 1961 मे जुडे थे। रतन टाटा , टाटा गु्प की कई कंपनियों मे अपना सहयोग दे चुके थे उसके बाद 1971 मे इन्हे राष्ट्रीय रेडियो अौर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (नेल्को) मे प्रभारी निदेशक का कार्यभार सौंपा गया । इसके बाद 1981 मे रतन टाटा , टाटा इंडस्ट्रीज़ के अध्यक्ष बने।
1991 मे जेअारडी टाटा ने अपने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का फैसला लिया अौर रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। रतन टाटा ने अपनी प्रतिभा के दम पर टाटा गु्प को नई बुलंदिया पर पहुंचा दिया। रतन टाटा की अध्यक्षता मे टाटा मोटर्स ने अपनी पहली भारतीय कार टाटा इंडिका लाँन्च की जो काफी सफल भी रही।

इसके बाद टाटा टी ने टेटली, टाटा मोटर्स ने 'जैगुआर लैंड रोवर' अौर टाटा स्टील ने 'कोरस' को टेक अोवर कर भारतीय बाजार मे तहलका मचा दिया। दुनिया की सबसे सस्ती कार बनाने का अाईडिया भी रतन टाटा का ही था। हालाँकि बाद में इन्होनें 28 दिसंबर  2012 को टाटा समूह के सभी कार्यकारी जिम्मेदारियों से सेवानिवृत्त हो गए थे अौर उनकी जगह 44 वर्षिय साइरस मिस्त्री को दि गई । टाटा समुह से अपने कार्यो से निवृत होने वाले रतन टाटा ने हाल ही में ईकाँमर्स कंपनी स्नैपडील, अर्बन लैडर अौर चाइनीज़ मोबाइल कंपनी जिअोमी में भी निवेश है। अभी रतन टाटा प्रधानमंत्री व्यापार अौर उद्योग परिषद अौर राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता परिषद के अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त है।

शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

Brian Acton (Motivation story) in hindi

हमारे ब्लाँग Stories onlines पर अापका स्वागत है।

अाज हम पढने वाले है। Brian Acton की जानकारी hindi me,।कोन है Brian Acton, क्या है इनकी प्रसिद्धि का कारण। इन सवालो का जवाब अाज मैं अापको बताने वाला हू।

ब्रायन एेक्टन ( Brian Acton) ये नाम तो अाप सभी ने सुना ही होगा। अगर नहीं भी सुना तो कोई बात नहीं अाज तो सुन ही लिया, अौर मेै उम्मीद करती हूँ , कि अाज इस अार्टिकल को पढकर शायद ही इनका नाम दोबारा हमें अापको या किसी अौर को याद दिलाना पडे़ । अाज सभी के पास Android फोन है , अौर WhatsApp अप जो कि एक एेसी अप्लीकेशन है , जो अाज के समय में शायद ही किसी शख़्स के फोन में ना हो। कुछ लोगों को Android फोन की जरुरत नहीं होती , लेकिन वह फिर भी केवल WhatsApp चलाने के लिए Android फोन खरीदते है।हम दिनभर WhatsApp पर लोगो से बात करते है।


दोस्तों के साथ अपने फोटो , गाने शेयर करते है , पर हम WhatsApp का इतिहास नहीँ जानते । ब्रायन एेक्टन (Brian Acton) जो कि अाज सभी के Android फोन मे युज होने वाली WhatsApp अप अप्लीकेशन के co-founder है , अाज से लगभग 6 साल पहले 2009 मे फेसबुक पे जाँब  के लिए गए थे। उनका सपना था कि वो फेसबुक में जाँब पर नहीं रखा, अौर रिजेक्ट कर दिए।


ब्रायन एेक्टन (Brian Acton) इससे बहुत दुखी हुए, परन्तु उन्होने हार नहीं मानी अौर जाँब के लिए टि्वटर पर अप्लाई किया, परन्तु यहाँ भी उन्हें निराशा ही मिली, अौर उन्हें टि्वटर ने भी रिजेक्ट कर दिया। अाज के समय में अगर किसी को एक ही बार किसी कम्पनी से रिजेक्ट कर दिया जाता है तो या तो वह कुछ गलत कदम उठा लेता है , या फिर अपनी खुद की योग्यता अौर काबिलियत पर शक करने लगता है।


अाज लोग अपने को एक जगह से रिजेक्ट होता देख, खुद को बहुत निराश अौर हताश कर लेते है। ब्रायन एेक्टन (Brian Acton) ने एेसा कुछ नहीँ किया। वो उठे अौर फिर से एक नयी अाशा के साथ उन्होंने एक नयी शुरुआत की। उन्होंने खुद अौर अपने दोस्त के साथ मिलकर दिन रात मेहनत की , अौर अपने बुलंद हौसले अौर इरादो के दम पर WhatsApp को बना डाला। वो WhatsApp जिससे अाज पुरी दुनिया जुडी हुई है। अब 5 साल बाद उसी फेसबुक ने जिसने 6 साल पहले ब्रायन एेक्टन (Brian Acton) को अपने यहाँ जाँब पर भी नहीँ था, उसी फेसबुक ने उनकी बनी अप्लीकेशन WhatsApp (व्हात्सप्प) को 19 बिलियन डाँलर मे खरीदा, जो भारतीय रुपयों के हिसाब से लगभग एक लाख करोड रुपये से भी अधिक की धनराशी है।
ब्रायन एेक्टन (Brian Acton) जिस कंपनी में नौकरी मांगने गए थे , उसी कंपनी ने उनकी अप्लीकेशन WhatsApp (व्हात्सप्प)। को खरीदने के लिये 19 बिलियन डाँलर दिए। जो अाज  तक की सबसे बडी़ डील मानी गयी है। जिस कंपनी मे जाँब करने उनका सपना था , वो उसी कंपनी मे शेयर होल्डर बन गये। दोस्तों अापकी सफलता अापकी सोच पर निर्भर करती है।


अाप अपनी एक असफलता से दुखी होकर अपनी जिन्दगी को खत्म कर लेते है , या अपनी उसी असफलता से मिले दु:ख को अपनी ताकत बनाकर फिर से नई उम्मीद के साथ पुन: अपनी सफलता के लिए प्रयास करने लग जाते है। अाप अपनी एक असफलता से थककर बैठ जाते है , या अपनी उस असफलता से अपने को पहले से भी अधिक मजबूत बनाते है। दोस्तों अपने अंदर छुपी क्षमता को पहचानिये अौर एक नयी ऊर्जा के के साथ उठ खडे़ होइए अाप जरुर सफल होगें ।

अाज हमने पढा Brian Acton की जानकारी hindi me

रविवार, 10 दिसंबर 2017

google company (Motivation story) in hindi

हमारे ब्लाँग Stories onlines पर अापका स्वागत है।
 अाज हम पढने वाले है। google company ke bare me। गुगल की स्थापना कब हुई। गूगल की स्थापना कीसने की । larry page अौर sergey brin कौन है। इन सभी सवालो का जवाब अाज मै अापको दुगा

 दुनिया की सबसे बडे़ सर्च गूगल ने 2005 मे अाधिकारिक तौर पर अपना जन्मदिन 27 सितंबर को मनाने की घोषणा की थी। इसके पहले गूगल ने अपने बर्थडे की तारीख़ कई बार बदली है। 4 सितंबर , 1998 को बनी इस कंपनी ने सितंबर महिने के कई दिनों को अपने बर्थडे के तौर पर चुना था। 4, फिर 7, अौर 15, व 26 सितंबर के बाद अाखिरकार 2005 मे गूगल ने  27 सितंबर को अपना जन्मदिन तय कर लिया। 2005 के बाद से हर 27 सितंबर को गूगल अपने होम पेज पर अाकर्षक डुडल बनाता है। ब्रांड गूगल' की चमत्कारिक सफलता की कहानी कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी के दो छात्रों के बिच दोस्ती के साथ शुरु हुई। शुरुअात मे इन दोस्तो ने गूगल कंपनी एक कार गैराज से शुरु की थी , जो अाज बहुत ही अधिक लोकप्रिय बन चुकी है। इंटरनेट सर्च मशीन से शुरु कर गूगल अब ई- मेल , फोटो अौर विडियो, भुसर्वेक्ष​ण नक्शों अौर मोबाइल फोन जैसी सेवाएं देने वाली अाँलराउंडर कंपनी बन गई है। सभी सेवाएं मुफ्त है। कमाई होती है व्यावसायिक कंपनियों से मिलने वाले विज्ञापनो से । गूगल की शुरुआत गैराज मे बनाए गए अाँफिस से हुई थी। अाज गूगल के हेडक्वार्टर गूगलप्लेक्स समेत गूगल के 40 देशों मे 70 से ज्यादा अाँफिस है।


दो मालिक है अापस मे नही पटती थी दोनों की-

sergey brin अौर larry page 22- 23 साल के थे, जब 1995 मे पहली बार मिले। उस समय दोनों के बीच बिल्कुल नहीं पटती थी। हर बात पर बहस हो जाया करती थी। दोनों के माता- पिता बेहद पढे -लिखे टेक्नोक्रेट्स थे।


मिलकर बनाई सर्च मशीन-

larry pageअौर sergey brin को दोस्त बनाया एक समस्या ने । वह थी इंटरनेट जैसे सुचनाअो के महासागर मे से किसी खास सूचना को कैसे ढूंढा जाए? दोनों ने मिल कर एक सर्च-मशीन बनाई , एक एेसा कम्प्यूटर जो कुछ निश्चित सिद्धांतो अौर नियमों के अनुसार किसी सुचना भंडार मे से ठीक वही जानकारी ढुंढकर निकाले ,जो हम चाहते है। स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी मे ही किए परीक्षण - बुनियादी सिद्धांत ये था कि हाइपर लिंकिंग की मदद से किसी वेबसाइट को सर्च किए टर्म के हिसाब से इंटरनेट से खोजकर एक समझने योग्य सुची बनानी है। युजर जिस भी शब्द प्रश्न या अार्टिकल को सर्च , कम्प्यूटर उसके बारे मे जितनी हो सके संबंधित जानकारी युजर्स के सामने पेश कर दे। ये एक एेसी गुत्थी थी जिसे लैरी पेज अौर सर्जि ब्रिन ने मिलकर सुलझाया । दोनों ही प्रोफेशनल दोस्तों ने स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी मे ही अारंभिक परिक्ष​ण किए। इसके लिए 11 लाख डाँलर धन जुटाया । लैरी पेज ने सबसे पहले वल्ड वाइड वेब की मैथेमैटिकल प्राँपर्टिज को समझने की कोशिश की। लैरी पेज ने इंटरनेट का हाइपरलिंक स्ट्रक्चर एक ग्राफ की मदद से समझा इसके बाद लैरी पेज ने सर्जि ब्रिन के साथ एक रिसर्च प्रोजेक्ट' BackRub' के साथ जुडकर काम करना शुरू किया। दोनों दोस्तों ने एक साथ जुडकर काम करना शुरू किया। दोनों दोस्तों ने एक साथ कई प्रोजेक्ट किए अौर अंत मे 4 सितंबर ,1998 मे इन दोनों ने मिलकर कंपनी की नींव रखी।


कार- गैरेज मे बनी गूगल इनकाँपरेटेड -

दोनों ने 7 सितंबर 1998 को , गूगल इनकाँपरेटेड के नाम से मेनलो पार्क कैलिफोर्निया के एक कार गैरेज मे अपनी कंपनी बनाई अौर काम शुरु कर दिया। दो ही वर्षो मे गूगल का नाम सबकी जुबान पर था। जर्मनी मे कम्प्यूटर विज्ञान के प्रोफेसर डिर्क लेवान्दोस्की का मत है कि याहु जैसे अपने अन्य प्रतियोगियों की तुलना मे गूगल शायद ही बेहतर है, लेकिन उसकी सार्वजनिक छवि कहीं अच्छी बन गई है।

सितंबर 2007 मे गूगल ने पुूरा किया अपना पहला दशक-

यह उसकी चमत्कारिक सफलता का रहस्य है। इंटरनेट को दुनिया मे अाए दो दशक से ज्यादा समय हो गए है , जबकी गूगल ने सितंबर 2007 को अपना पहला दशक पुरा किया, तब भी दोनों एक - दूसरे के पर्याय बन गए है।


इस्तेमाल बढने के साथ -साथ बढते चले गए शेयर के दाम -

इंटरनेट का इस्तेमाल जितना बढ रहा है , गूगल के शेयर भी उतने ही चढ़ रहे है। अगस्त 2004 मे गूगल ने जब पहली बार शेयर बाजार मे पैर रखा , तब उसके शेयर 85 डाँलर मे बिक रहे थे। तीन वर्ष बाद, नवंबर 2007 मे इसके शेयर उछलकर 747 डॉलर पर पहुंच गए थे।

साहसी बालक (Motivation story) in hindi

अाज मैं अापको एक काहानी बताने वाला । यह काहानी एक साहसी बालक की है।

दक्कन के पठारी प्रदेश और विंधय पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बसा है एक छोटा- सा गाँव असोला । यह गाँव महाराष्ट्र के वाशिम जिले के मनोरा तालुके के अंतर्गत है। इसी असोला मे रहता है तेरह साल का साहसी बालक कमल । कमल अपनी माँ का लाडला और अाज्ञाकारी पुत्र है। वह अपनी माँ के साथ धार्मिक कार्यो मे भी बढ-चढकर हिस्सा लिया करता है। २० अगस्त , २००२ को भी वह अपनी माँ का अनुकरण करते हुए उसके साथ गाँव के समीप बहने वाली नदी पर पुजा करने ही गया था। नहा- धोकर वे दोनों पुजा करने लगे।

अचानक कमल को अपने साथ ही नहाने अाई अन्य पाचँ पडोसी महिलाओं की चीख सुनाई दी। कमल ने मुडकर देखा कि वे सब महिलाएँ नहाते- नहाते एक भारी भँवर मे फँस गई है। बिना एक भी पल गँवाए कमल उन्हें बचाने के लिए नदी मे कुद पडा़ । वह तैरता हुआ उन महिलाओं तक पहुँचा और एक का हाथ पकडकर उसे किनारे की अोर खींचने लगा।

भँवर काफी तेज था। कमल काफी मशक्कत के बाद एक महिला को किनारे पर ले अाया । इसके बाद वह कुदा बाकी महिलाओं को बचाने के लिए। इसी तरह वह एक- एक करके चार महिलाओं को किनारे तक लाने मे कामयाब हो गया।